पिछले दिनों हमने नवरात्री का पूजन किया, किन्तु एक प्रश्न मेरे दिमाग मे उठा कि इस समाज मे हम लोग कन्या पूजन तो करते हैं लेकिन कन्या को जीवित रहने का अधिकार नहीं देते या अगर दे भी देते हैं तो जीवन प्रयंत इस भावना के साथ जीते हैं कि किस्मत ने हमसे बहुत बड़ा खिलवाड़ किया है|
क्यू?
फिर दूसरा प्रश्न ये उठा कि हम लोग दशानन के दहन का उल्लास भी मना रहे हैं लेकिन समाज में जो विभिन्न कुरीतियो कि वजह से कई रावण पैदा हुए हैं उनका दहन कौन करेगा?
कौन?
ये दो यक्ष प्रश्न हैं जो इस समाज कि दशा और दिशा को दिखते हैं |
यदि नारी देवी का स्वरूप है तो उसकी इतनी बुरी दशा क्यू है ?
यदि रावण सच मे मर चुका है तो समाज मे इतना अंधकार क्यू व्याप्त है?
सच कहूँ तो इन प्रश्नो के उत्तर मेरे पास भी नहीं हैं लेकिन इन प्रश्नो के चक्रव्यूह मे मैं फंसा भी नहीं हूँ |
परंतु मैं फिर भी यही कहूँगा कि क्या हम लोग सही हैं?
क्यू?
फिर दूसरा प्रश्न ये उठा कि हम लोग दशानन के दहन का उल्लास भी मना रहे हैं लेकिन समाज में जो विभिन्न कुरीतियो कि वजह से कई रावण पैदा हुए हैं उनका दहन कौन करेगा?
कौन?
ये दो यक्ष प्रश्न हैं जो इस समाज कि दशा और दिशा को दिखते हैं |
यदि नारी देवी का स्वरूप है तो उसकी इतनी बुरी दशा क्यू है ?
यदि रावण सच मे मर चुका है तो समाज मे इतना अंधकार क्यू व्याप्त है?
सच कहूँ तो इन प्रश्नो के उत्तर मेरे पास भी नहीं हैं लेकिन इन प्रश्नो के चक्रव्यूह मे मैं फंसा भी नहीं हूँ |
परंतु मैं फिर भी यही कहूँगा कि क्या हम लोग सही हैं?